जुमा मुबारक: इस्लाम में जुमे की अहमियत और फ़ज़ीलत

 

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जुमा के दिन की फजीलत

​आदाब!

​जुमा (शुक्रवार) को इस्लाम में एक बहुत ही मुक़द्दस दिन माना जाता है और इसे हफ्ते के बाकी दिनों से ज़्यादा अहमियत हासिल है। इस दिन की कुछ खास फजीलत (अहमियत) ये हैं:

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  • गुनाहों की माफ़ी: इस दिन सच्चे दिल से तौबा करने पर अल्लाह गुनाहों को माफ़ करता है। एक हदीस के मुताबिक, जो शख्स जुमा को अच्छी तरह से गुस्ल करके मस्जिद जाता है और ख़ुत्बा (भाषण) ध्यान से सुनता है, उसके दो जुमा के बीच के गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं।
  • दुआ की क़बूलियत: जुमा के दिन एक ख़ास वक़्त ऐसा होता है जब मांगी गई दुआ ज़रूर क़बूल होती है। हालाँकि, इस वक़्त को लेकर अलग-अलग राय हैं, लेकिन ज़्यादातर उलमा (धर्म के जानकार) का मानना है कि यह वक़्त अस्र की नमाज़ के बाद से लेकर मग़रिब की नमाज़ तक होता है।
  • जन्नत का दिन: जुमा को जन्नत में भी एक ख़ास दिन माना गया है। जन्नत वाले इस दिन अल्लाह का दीदार करेंगे।
  • ख़ुत्बा (भाषण) और नमाज़: जुमा की नमाज़ फ़र्ज़ है और इसे जमात के साथ पढ़ना ज़रूरी है। नमाज़ से पहले इमाम का ख़ुत्बा होता है, जिसमें ज़रूरी दीन की बातें बताई जाती हैं।
  • हज़रात आदम (अ.स.) की पैदाइश: इमाम मुस्लिम की एक हदीस के मुताबिक, जुमा के दिन ही हज़रात आदम (अ.स.) की पैदाइश हुई थी, इसी दिन उन्हें जन्नत में दाखिल किया गया और इसी दिन उन्हें जन्नत से निकाला गया।
जुमे की फजीलत - 4 खास हदीसों के साथ दुआ और गुनाहों की माफी का इलस्ट्रेशन। कुरान, दुआ करते हाथ और आसमानी रोशनी।


​जुमा के दिन कुछ ख़ास काम करने की सुन्नत हैं, जैसे:

  • ​गुस्ल करना
  • ​साफ़-सुथरे कपड़े पहनना
  • ​खुशबू लगाना
  • ​सुरमा लगाना
  • ​जल्दी मस्जिद जाना
  • ​सूरह अल-कह्फ पढ़ना
  • ​दुरूद शरीफ ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ना

​यह दिन इबादत, तौबा और दुआ के लिए सबसे बेहतर माना गया है।

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