Top News

‘आज कुछ अलग महसूस हो रहा है’ — ग़ज़ा में युद्धविराम की सुबह ने दी राहत की सांस


दो साल के खूनी संघर्ष के बाद ग़ज़ा में पहली बार सन्नाटे के बीच मुस्कुराहट लौट आई।
लोगों ने गले मिलकर शुक्राना अदा किया, मगर डर अब भी कायम — “कहीं ये सुकून पलभर का न साबित हो जाए।”

🕊️

… | 9 अक्टूबर 2025

‘आज कुछ अलग महसूस हो रहा है’ — ग़ज़ा में युद्धविराम की खबर के साथ लोगों की सुबह

दो साल तक चले इज़राइल–हमास युद्ध की तबाही, बमबारी और मौत के सिलसिले के बाद आखिरकार आज ग़ज़ा की धरती पर एक सुबह ऐसी आई जब लोगों ने राहत की सांस ली। अल-जज़ीरा के संवाददाता हानी महमूद के मुताबिक — “आज सुबह रिपोर्टिंग करते हुए मुझे पहली बार लगा कि मैं सुरक्षित हूं।”

ग़ज़ा में युद्धविराम का जश्न

ग़ज़ा की गलियों में आज खुशी, राहत और उम्मीद के रंग घुल गए हैं। कुछ जगहों पर लोग एक-दूसरे से गले मिले, कुछ ने नमाज़-ए-शुक्र अदा की, तो कई लोग बस आसमान की ओर देख मुस्कुरा दिए — जैसे कह रहे हों कि “अब शायद कुछ बदलने वाला है।”

मगर इस खुशी में भी एक डर है। पिछले कई युद्धविराम टूट चुके हैं — और लोगों को मालूम है कि यह सुकून अस्थायी भी साबित हो सकता है। राहत एजेंसियों का कहना है कि यह मौक़ा ग़ज़ा में मानवीय सहायता पहुंचाने और पुनर्निर्माण शुरू करने का सबसे अहम समय है।

मुख्य चुनौतियाँ:

  • युद्धविराम का पालन — दोनों पक्षों की प्रतिबद्धता सबसे बड़ी कसौटी।
  • मानवीय राहत — दवाइयाँ, पानी और भोजन की तत्काल आवश्यकता।
  • पुनर्निर्माण — घरों, स्कूलों और अस्पतालों का पुनर्निर्माण लंबी प्रक्रिया होगी।
  • राजनीतिक समाधान — यह युद्धविराम स्थायी शांति की ओर पहला कदम हो सकता है।

अल-जज़ीरा, रॉयटर्स और एपी की रिपोर्टों के अनुसार, युद्धविराम के तहत कैदियों और बंधकों की अदला-बदली भी तय हुई है। दोनों पक्षों ने शर्त रखी है कि सीमा पार गोलीबारी या हवाई हमले नहीं होंगे

एक ग़ज़न महिला के शब्दों में — “कल तक हम बमों से बचने के लिए भाग रहे थे, आज पहली बार बच्चे सड़क पर खेल रहे हैं। मुझे लगता है कि हम ज़िंदा हैं, और यह एहसास ही अलग है।”


© 2025 Times Watch | “सच्चाई के साथ, बिना झुकाव के…”

Post a Comment

Previous Post Next Post