रात 12 बजे खाली रेलवे स्टेशन पर मैं अकेला... | 1 Minute Horror Story

 

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खाली स्टेशन का डरावना सच | The Empty Station Horror Story

रात के 12 बजे... इस समय हर रेलवे स्टेशन पर या तो भागमभाग होती है, या गहरी ख़ामोशी। लेकिन क्या हो जब ख़ामोशी टूट जाए, और उसके बाद आने वाली आवाज़ आपका पीछा न छोड़े? आज की यह डरावनी कहानी आपको एक ऐसे खाली स्टेशन पर ले जाती है, जहाँ एक यात्री फँस गया है। उसे अपनी ट्रेन का इंतज़ार है, पर ट्रेन से पहले उसका सामना किसी ऐसी चीज़ से होता है, जिसे देखकर उसकी रूह काँप जाती है। यह सिर्फ़ एक मिनट की कहानी है, लेकिन इसे पढ़ने के बाद आप दोबारा रात में स्टेशन पर अकेले जाने की हिम्मत नहीं कर पाएंगे। अपनी सांसें थाम लें, क्योंकि 'खिच-खिच' की आवाज़ अब नज़दीक आ रही है...

खाली स्टेशन

पैनल 1 दृश्य विवरण

रात के ठीक 12:00 बजे, आकाशदीप ने घड़ी पर नज़र डाली। उसकी ट्रेन को आए हुए 20 मिनट हो चुके थे, लेकिन प्लेटफॉर्म पर न तो कोई ट्रेन थी, और न ही कोई इंसान। वह अपने गाँव जाने के लिए दिल्ली के एक छोटे से आउटर स्टेशन पर अकेला फँसा हुआ था।

घनी कोहरे ने प्लेटफॉर्म को अपनी चादर में लपेट रखा था, 

पैनल 2 दृश्य विवरण

और एकमात्र पीली लाइट कोहरे को चीरने की असफल कोशिश कर रही थी। स्टेशन की इमारत पूरी तरह से अंधेरे में डूबी थी। हवा में अजीब सी ख़ामोशी थी, इतनी गहरी कि आकाशदीप को अपने दिल की धड़कन स्पष्ट सुनाई दे रही थी।

तभी, दूर पटरियों की तरफ़ से एक धीमी, लयबद्ध आवाज़ आई।

पैनल 3 दृश्य विवरण

ऐसा लगा जैसे कोई भारी चीज़ पटरी पर घिसट रही हो – 'खिच... खिच... खिच...'। आकाशदीप ने टॉर्च जलाई और पटरियों की तरफ़ रोशनी डाली। वहाँ कुछ नहीं था। उसने सोचा कि शायद यह कोई आवारा कुत्ता या हवा का धोखा होगा।

जैसे ही उसने टॉर्च नीचे की,

पैनल 1 दृश्य विवरण

उसकी नज़र प्लेटफॉर्म के बिल्कुल किनारे पर पड़ी। कोहरे के बीच से एक पुरानी, गन्दी-सी गुड़िया का चेहरा उसे घूर रहा था। गुड़िया की आँखें काली और ख़ाली थीं।

आकाशदीप को लगा कि वह डर के मारे काँप रहा है।

पैनल 2 दृश्य विवरण

उसने फिर से टॉर्च गुड़िया पर डाली, लेकिन इस बार... गुड़िया हिलकर लगभग एक इंच आगे बढ़ गई थी!

आकाशदीप पीछे हटने लगा। अब वह आवाज़ और नज़दीक थी

पैनल 3 दृश्य विवरण

खिच... खिच... खिच...'। उसने अपने कदमों की आवाज़ को दबाने की कोशिश की, पर ख़ामोशी इतनी ज़्यादा थी कि उसके जूतों की रगड़ भी चीख़ जैसी लग रही थी।

फिर, स्टेशन के अँधेरे वेटिंग रूम के दरवाज़े से,

पैनल 1 दृश्य विवरण

एक बहुत ही पतला, लंबा साया दिखाई दिया। वह साया ज़मीन से थोड़ा ऊपर उठा हुआ था और उसकी शक्ल बिल्कुल उस गुड़िया जैसी थी।

साया अब दरवाज़े से बाहर निकलकर प्लेटफॉर्म पर धीरे-धीरे उसकी ओर बढ़ने लगा। 

पैनल 2 दृश्य विवरण

'खिच... खिच... खिच...' की आवाज़ हर गुज़रते सेकंड के साथ तेज़ हो रही थी।

आकाशदीप ने

पैनल 3 दृश्य विवरण

पलटकर भागना शुरू कर दिया। भागते-भागते वह चीख़ा, "यहाँ... कोई... है?"

जवाब में

पैनल 1 दृश्य विवरण

से बस एक छोटी लड़की की दबी हुई, गुर्राती हुई हँसी सुनाई दी, जो उसके ठीक कान के पास से आई थी।हाँ दूसरा डायलॉग या कहानी का मुख्य मोड़ लिखें।

समाप्त। लेखक: [Rizwan Ahmed] | अगले भाग के लिए बने रहें!

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