दिलीप कुमार — कुछ यादगार, दिल छु लेने वाले और हल्के-फुल्के किस्से (Mohammad Rafi) (Dilip Kumar)

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दिलीप कुमार, हिंदी सिनेमा के मशहूर ट्रेजडी किंग, न सिर्फ़ अपनी गंभीर अदाकारी के लिए बल्कि अपनी विनम्रता और सादगी के लिए भी जाने जाते थे। नीचे ऐसे तीन छोटे-छोटे किस्से हैं जो उनकी शख्सियत की मधुर झलक दिखाते हैं — कुछ दिल को छू लेने वाले, कुछ हँसी दिला देने वाले।

  1. रफ़ी साहब को क्रेडिट देने वाला किस्सा
    एक बार किसी पार्टी/इवेंट में लोग फिल्मी गाने सुनकर तारीफ़ कर रहे थे। किसी ने दिलीप साहब से कहा, “आपके गाने तो लाजवाब हैं।” दिलीप कुमार मुस्कुराए और बोले, “गाना तो मोहम्मद रफ़ी साहब ने गाया है — मैं तो बस होंठ हिलाता हूँ।”
    यह छोटी सी बात दर्शाती है उनकी विनम्रता और दूसरों को सही क्रेडिट देने की आदत। दर्शकों की भावुकता के बीच भी उन्होंने सच बिल्कुल साफ़ रखा — इसलिए उन्हें लोगों ने और भी दिल से चाहा।

दिलीप कुमार और मोहम्मद रफ़ी सेट पर”
दिलीप कुमार ने रफ़ी को क्रेडिट दिया”


  1. एक हवा का झोंका और शख्शियत की शालीनता
    एक बार फिल्म के सेट पर तेज़ हवा चली और दिलीप साहब का टॉप कोट अचानक उड़ने लगा। अचानक सबका ध्यान उस पर गया — लेकिन उन्होंने धीमे से मुस्कुरा कर कहा, “मौसम भी कला का हिस्सा बनना चाहता है।” सब हँस पड़े। इस किस्से में उनकी शालीनता और शख्सियत की सहजता झलकती है — हर स्थिति में ठंडे दिमाग से पेश आने का हुनर।

  2. छोटे-छोटे प्रशंसक और बड़े दिल
    किसी शहर के छोटे थिएटर में एक बच्चा अपने हाथ में पेंट किया हुआ पोर्ट्रेट लेकर आया — जिसे उसने दिलीप साहब के लिए बनाया था। दिलीप ने बच्चों की तरह चमकती आँखों के साथ उस पोर्ट्रेट की तारीफ़ की और बच्चे को गले लगा लिया। जब उनसे पूछा गया कि इतनी फैन फॉलोइंग के बीच ये सहजता कैसे बनी रहती है, तो उन्होंने कहा — “लोगों का प्यार मिलना ही सबसे बड़ी दौलत है।” यह उनका इंसानियत दिखाता है — स्टारडम के बावजूद वे लोगों के करीब रहे।


📌 सीख:
क्रेडिट देना, विनम्रता, और इंसानियत — यही दिलीप कुमार की सबसे बड़ी विरासत थी। बड़े से बड़ा सितारा होने के बावजूद ये छोटे छोटे पल बताते हैं कि असली महानता दर्द जताने में नहीं, बल्कि दिलों को जोड़ने में है।

✍Rizwan....


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