अजब है दास्ताँ: जब पर्दे पर किशोर और आवाज़ में रफी!

 

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मोहम्मद रफी और किशोर कुमार की अनसुनी दोस्ती। जानिए कैसे किशोर दा खुद रफी साहब के दीवाने थे और क्यों उन्होंने अपनी फिल्मों में रफी साहब से गाने गवाए। उनके सभी यादगार युगल गीतों की सूची।

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दो महानायकों की मधुर दास्तान: जब किशोर कुमार, रफी साहब की आवाज के दीवाने हुए!

रिजवान की कलम से: 

भारतीय सिनेमा के संगीत इतिहास में कुछ ऐसी जोड़ियाँ हैं, जिनकी चर्चा सदियों तक होती रहेगी। ऐसी ही एक जादुई जोड़ी थी, **मोहम्मद रफी** साहब और **किशोर कुमार** की। अकसर लोग इन्हें प्रतिद्वंद्वी समझते रहे, क्योंकि दोनों अपने-अपने दौर के शिखर गायक थे। मगर, हकीकत इसके बिल्कुल उलट थी! ये सिर्फ़ दिग्गज कलाकार नहीं, बल्कि एक-दूसरे के गहरे दोस्त और प्रशंसक थे।

किस्सा दोस्ती का: जब दीवाने थे किशोर दा!

यह बात शायद कम ही लोग जानते हैं कि खुद किशोर कुमार, रफी साहब की आवाज़ के कायल थे। अभिनय और गायन में अपना लोहा मनवा चुके किशोर दा ने कभी रफी साहब को अपना बड़ा भाई माना, तो कभी उनके जाने के बाद घंटों उनके पैर पकड़कर रोते रहे। यह दोस्ती की मिसाल थी, जहाँ गलाकाट प्रतिस्पर्धा के शोर में भी, दो महान फनकार एक-दूसरे का सम्मान करते थे।

रफी साहब भी किशोर दा की कामयाबी पर खुश होते थे और सार्वजनिक मंच पर कहते थे कि "मेरे दोस्त किशोर कुमार की कामयाबी, मेरी कामयाबी है।"

अजब है दास्ताँ: पर्दे पर किशोर, आवाज़ में रफी!

सबसे दिलचस्प बात यह है कि किशोर कुमार, जो खुद अभिनय करते थे और गाते भी थे, उन्होंने अपनी कुछ फिल्मों में अपने ऊपर फिल्माए गए गानों के लिए, रफी साहब को चुना! यह एक बड़ा दिल दिखाने और कला के प्रति समर्पण का बेहतरीन उदाहरण था।

कल्पना कीजिए! एक ऐसा अभिनेता-गायक, जो खुद अपनी आवाज़ में हज़ारों दिलों पर राज करता हो, वह अपनी ही फिल्मों में दूसरे गायक से गाना गवाए। यह सिर्फ एक ही वजह से संभव था - **रफी साहब की आवाज़ का जादू!**

कुछ यादगार फ़िल्में और गाने, जिनमें किशोर कुमार पर रफी साहब की आवाज़ का जादू चला:

  • **'रागिनी' (1958):** किशोर दा इस फिल्म के अभिनेता थे और माना जाता है कि उन्होंने खुद संगीतकार ओ.पी. नैयर को रफी साहब से गाना गवाने का सुझाव दिया था। गाना था: "मन मोरा बाँवरा निस दिन गाए गीत मिलन के" - एक क्लासिकल नगीना!
  • **'शरारत' (1959):** इस फिल्म में रफी साहब ने किशोर दा के लिए गाया, "अजब है दास्ताँ तेरी ए ज़िंदगी"। यह गाना आज भी किशोर कुमार के अभिनय और रफी साहब की मधुर आवाज़ के लिए याद किया जाता है।
  • **'भागम भाग' (1956):** इस फिल्म में रफी साहब ने किशोर कुमार के लिए दो गाने गाए थे: "यहाँ तो ग़म का साथ है" और "ले लो सोने के लड्डू"

ये गाने सिर्फ गाने नहीं थे, बल्कि दो महान कलाकारों के बीच के गहरे रिश्ते का सबूत थे। यह दिखाता है कि जब कला सर्वोपरि होती है, तो व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता कोई मायने नहीं रखती।

एक दौर का अंत: जब रो पड़े थे किशोर दा

साल 1980 में जब मोहम्मद रफी साहब का निधन हुआ, तो किशोर कुमार गहरे सदमे में थे। कहा जाता है कि वह उनके पार्थिव शरीर के पास गए और किसी छोटे बच्चे की तरह उनके पैर पकड़कर घंटों रोते रहे।

मोहम्मद रफी और किशोर कुमार... दोनों अपनी जगह **'सूरों के सरताज'** थे। दोनों के बीच कोई तुलना नहीं थी, बस अथाह प्रेम, सम्मान और दोस्ती थी, जिसने हिंदी सिनेमा के संगीत को हमेशा के लिए अमर कर दिया। यही वह खूबसूरत कहानी है, जो बताती है कि कला में प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि आपसी सहयोग और प्यार ही असली विरासत होती है।
मोहम्मद रफी साहब और किशोर कुमार

मोहम्मद रफी साहब और किशोर कुमार 

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मोहम्मद रफी साहब और किशोर कुमार के बीच गहरे दोस्ताना संबंध होने के बावजूद, उन्होंने एक साथ (युगल गीत) बहुत कम गाने गाए। इसकी मुख्य वजह यह थी कि दोनों का अपना-अपना अंदाज़ और एक्टिंग स्टार्स के लिए अलग-अलग पहचान थी।

हालांकि, जो गाने उन्होंने एक साथ गाए, वे हिंदी सिनेमा के इतिहास में यादगार बन गए। इनमें से कुछ सबसे मशहूर और शानदार युगल गीतों (Duet Songs) की सूची यहाँ दी गई है:

मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के यादगार युगल गीत (Duets)

क्र.सं.गाना (गीत)फ़िल्मवर्षअन्य गायक/गायिकाटिप्पणी
1बने चाहे दुश्मन ज़माना हमारा, सलामत रहे दोस्ताना हमारादोस्ताना1980-यह गाना सिर्फ रफी और किशोर दा ने गाया है, दोस्ती का एक अमर गीत।
2एक चतुर नार करके सिंगारपड़ोसन1968मन्ना डेहिंदी सिनेमा का सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी-म्यूजिकल ट्रिओ।
3चल कहीं दूर निकल जाएँदोस्ताना1980लता मंगेशकररोमांटिक और मधुर युगल।
4हम प्रेमी प्रेम करना जानेंपरवरिश1977लता मंगेशकर, आशा भोंसलेअमिताभ-विनोद खन्ना पर फिल्माया गया ऊर्जावान गीत।
5चन्ना ज़ोर गरमक्रांति1981लता मंगेशकर, नितिन मुकेशदेशभक्ति और लोक-संस्कृति का मेल।
6यादों की बारात निकली है आजयादों की बारात1973लता मंगेशकर, आशा भोंसलेफ़िल्म के शीर्षक पर बना एक यादगार गाना।
7ये दुनिया के बदलते रिश्तेबदलते रिश्ते1978सुमन कल्याणपुरजीवन के बदलते रिश्तों पर एक भावपूर्ण गीत।
8अरे यार तेरी यारीवक्त की दीवार1981आशा भोंसलेदोस्ती का लोकप्रिय गाना।
9सा रे गा माचुपके चुपके1975-मस्ती भरा गाना, जहाँ दोनों की अलग-अलग गायन शैली मिलती है।
10मेरे दिलदार का बाँकपनदीवाना1967लता मंगेशकरशम्मी कपूर और किशोर कुमार पर फिल्माया गया।
11तुमको ख़ुश देख करआप के दीवाने1980-दोस्ती और समर्पण को दर्शाता खूबसूरत गीत।
12एक रस्ता दो राहीराम बलराम1980-दो अलग-अलग अंदाज़ का संगम।
13ऐसी नाज़ुक नहीं मैंशरीफ़ बदमाश1973लता मंगेशकरहल्का-फुल्का मज़ाकिया गाना।
14यार दोस्तीप्रेम बंधन1979उषा मंगेशकर
15हम दोनों दो प्रेमीअनोखा मिलन1972लता मंगेशकर
16रुक जाना ओ मेरी रानीलव एंड गॉड1986-अधूरा रह गया गाना, जिसे बाद में डबिंग से पूरा किया गया।
17हो गया है मुझे प्यारअनाड़ी1975उषा मंगेशकर
18क़यामत है ये कैसा ग़म हैनसीब1981लता, आशा, मुकेशएक दुर्लभ 'पेंटा' डुएट (5 गायक एक साथ)।

यह सूची इन दोनों महान गायकों के बीच कलात्मक सम्मान और प्रेम की बेहतरीन निशानी है!


विशेष और दुर्लभ गाने (Rare & Unique Combos):

  • जनू मेरी जाँ | नसीब (1981) | लता मंगेशकर, आशा भोंसले, मुकेश | इस ऐतिहासिक गाने में तीनों महान पुरुष गायकों ने एक साथ आवाज़ दी।

  • तुम्को ख़ुश देख कर | आप के दीवाने (1980) | - | किशोर कुमार द्वारा निर्देशित फ़िल्म का एक प्यारा गीत।

  • एक रस्ता दो राही | राम बलराम (1980) | - | दो अलग-अलग शैली के गायकों का शानदार संगम।

विशेष टिप्पणी:

  • 'एक चतुर नार' गाना हिंदी सिनेमा के इतिहास के सबसे प्रसिद्ध कॉमेडी-म्यूजिकल गानों में से एक है। इस गाने में रफी साहब और किशोर कुमार ने मन्ना डे के साथ अपनी आवाज दी, लेकिन स्क्रीन पर यह गाना महमूद और किशोर कुमार पर फिल्माया गया था, जिसने इसे एक अद्वितीय (Unique) दर्जा दिया।

  • फ़िल्म 'नसीब' (1981) के टाइटल ट्रैक में भी तीनों महान गायकों - मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश - ने साथ में अपनी आवाज़ दी थी, जो एक दुर्लभ संयोग था।

यह लिस्ट दोनों दिग्गजों की संगीतमय विरासत को दर्शाती है, भले ही संख्या में ये गाने कम हों, लेकिन गुणवत्ता और लोकप्रियता में इनका कोई मुकाबला नहीं है।


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